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जारी है लड़ाई, संतोष पटेल

“जारी है लड़ाई”, संतोष पटेल जी का प्रथम हिंदी कविता संग्रह, आज हिंदी दिवस के अवसर पर उनके कर कमलों से प्राप्त हुआ…

घर पहुंचते ही पढ़ने बैठ गई… कुल मिलाकर 58 कविताएं हैं, पर भाव हों या शब्द संयोजन, विविधता की कहीं कमी नहीं… अधिकतर कविताएं बहुजन समाज की पीड़ा और उनके संघर्ष की वास्तविक छवि प्रस्तुत करती हैं… कह सकते हैं कि इन कविताओं में विरोध का स्वर मुखर है… समाज में व्याप्त बुराइयों, ऊँच नीच की प्रथाओं, जाति, धर्म, वर्ण आधारित भेदभाव और उनसे उपजे विक्षोभ और विद्रोह की भावनाओं को सन्तोष जी ने बहुत ही संवेदनशील तरीके से शब्दों में बाँधा है…

पांच साल की उम्र में ब्याही गई लड़की की बात हो या दशरथ मांझी के पहाड़ खोद लेने की पहल या फिर हो राजनीति और साहित्य का गलियारा, कवि हर दशा और दिशा में दुर्बल वर्ग का हाथ थामे, उनकी दबी कुचली इच्छाओं और भावनाओं को व्यक्त करते हुए, मनुष्यता और सभ्यता का असल रूप दिखाते नज़र आते हैं…

सम्पन्न होने पर भी संकीर्ण रहना और विपन्नता में भी प्रसन्न होना, किसी धन या धर्म की बपौती नहीं, बल्कि केवल और केवल आत्मबल से ही संभव है, यह बात संतोष जी बेहद सरल सहज तरीके से अपनी कविताओं में बताते चलते हैं…

अपने आसपास के जीवन और समाज को तीक्ष्ण और प्रखर बुद्धि से देखते हुए एक संवेदनशील व्यक्ति किस तरह व्यथित हो उठता है… तर्क और न्याय को पीछे धकेल, किस क़दर इंसान ही इंसान को दबाने की कोशिश करता है… और इन सबके बीच एक कवि मन, आहत होकर अपनी कलम को ही हथियार बना, कैसे हुलस कर उठ खड़ा होता है… बस यही इन कविताओं का सार है, बल्कि कहूंगी कि इस संसार की दुर्दशा पर एक उन्मुक्त कंठ का वार है…

भेदभाव हमारे समाज में कुछ इस तरह व्याप्त है कि ज़्यादातर मौक़ों पर हमें ध्यान भी नहीं रहता कि जाने अनजाने हम कैसे अपने साथी मनुष्यों का दिल दुखाए चलते हैं… कविताएं पढ़ते पढ़ते उनके शब्द कभी बाण सरीखे हृदय में चुभते हैं तो कभी कोर भीग उठते हैं…

केवल लय ताल नहीं, भावनाओं को आंदोलित करना ही कविता का स्वाभाविक रूप है, कर्म है, नियम है… और इस कसौटी पर ज़्यादातर कविताएं खरी उतरती हैं…

भोजपुरी के सशक्त हस्ताक्षर और सरल सहज हृदय संतोष पटेल जी का हिंदी काव्य जगत में पहला कदम, निश्चित ही सराहनीय है… आप भी पढ़िए और एक नए नज़रिए से रूबरू होइए… नवजागरण प्रकाशन द्वारा प्रकाशित ये किताब मात्र 125 रुपए में अमेज़न पर उपलब्ध है…

संतोष जी को पुनः हार्दिक शुभकामनाएं एवम् बधाई… अनुपमा सरकार

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