Hindi Poetry

जान

खनकती हंसी उदासी में डूब मरी
चमकीले ख़्वाब फलक से औंधे गिरे
चींटियों की बाम्बियों में सांप दिखे
कौओं के शोर में कोयल के पर टूटे
कचकचाकर गिरी जो बिजली
कितने परिंदों के आशियाँ छूटे
अश्क़ों में बहता नमकीन पानी
रगों से रंगों का फुवार फूटे
बुझा दो दिये उम्मीदों के
ख्यालों से जान छूटे !!
Anupama

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