खनकती हंसी उदासी में डूब मरी
चमकीले ख़्वाब फलक से औंधे गिरे
चींटियों की बाम्बियों में सांप दिखे
कौओं के शोर में कोयल के पर टूटे
कचकचाकर गिरी जो बिजली
कितने परिंदों के आशियाँ छूटे
अश्क़ों में बहता नमकीन पानी
रगों से रंगों का फुवार फूटे
बुझा दो दिये उम्मीदों के
ख्यालों से जान छूटे !!
Anupama
Recent Comments