नसीर, रेखा और अनुराधा पटेल की इजाज़त.. देखी और बस सोचती रह गई.. गुलज़ार की इस फ़िल्म को हम में से ज़्यादतर लोग माया के किरदार की वजह से जानते हैं… मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है.. को कौन भुला सकता है… पर जब से मैंने ये मूवी देखी, बस एक ही बात दिमाग में घूम रही है.. काश, काश महेन ने अपने दिल की सुन ली होती… सुधा से नहीं माया से शादी की होती… काश, ये प्रेम कहानी यूँ ज़ाया न होती… उफ्फ़ महेन !! मन होता है, ये कहानी बदल दूँ, और इस बार तुम समझ सको माया को !!
Anupama
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