चली ज़ोरों से पवन
उच्च स्वर में हुंकारती
जैसे सज्जित हो
रणभूमि में महारथी
तिनके उड़े, पत्ते फिसले
कांपने लगे कुछ पेड़ भी
प्रकृति के आगे नम है
देखो स्वयं तेज भी!
Anupama
चली ज़ोरों से पवन
उच्च स्वर में हुंकारती
जैसे सज्जित हो
रणभूमि में महारथी
तिनके उड़े, पत्ते फिसले
कांपने लगे कुछ पेड़ भी
प्रकृति के आगे नम है
देखो स्वयं तेज भी!
Anupama
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