पिछले दो दिन में चार मूवीज़ देखीं… पति पत्नी और वो (कार्तिक आर्यन के खातिर 🙃 हालांकि काफ़ी बोर किया मूवी ने, पर पूरी देख ही ली) …
मोतीचूर चकनाचूर, नवाज़ुद्दीन के कारण देखनी शुरु की थी, पर इतना हमाए तुमाए, हमारे से पचाया नहीं गया, सो छोड़ दी…
स्टूडेंट ऑफ द इयर 2 का पहला सीन ही इतने ज़ोर से धक्का दे गया कि टाइगर श्रॉफ का सपना, मेरे अंदर के दर्शक को डांवाडोल कर गया… ये करण जौहर सिर्फ़ नाम से ही पैसा वसूल कर लेता है क्या 🙄
फाइनली देखी मर्दानी 2… चारों में से इकलौती मूवी, जिसने बांधे रखा… कहानी नई नहीं, सस्पेंस भी ख़ास नहीं… पर रानी मुखर्जी की पॉवरफुल प्रेसेंस ज़रूर छाप छोड़ गई… अजय देवगन फिल्मी दुनिया के सबसे सशक्त पुलिस वाले लगते हैं मुझे… रानी उनके मुकाबले तो ख़ैर कहीं नहीं… पर इसके बावजूद उनका निभाया किरदार असलियत के करीब लगा और कहानी से जस्टिस करता हुआ…
लेटे लेटे बोरियत से बचना चाहती थी और महसूस किया कि मूवीज़ में कहानी, कलाकार, अभिनय, निर्देशन में से कभी कभी सिर्फ एक भी सही से काम कर जाए, तो टाइम पास लायक फिल्म तो बन ही जाती है… पर अफ़सोस ये एक भी मुश्किल से चार में से एक में मिला 😁 अनुपमा सरकार
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