हवा थमी सी है
पंछी चुपचाप शाखों पर बैठे हैं
सूरज बादलों को छिटक
अपने तेज पर है
और माहौल में हल्की सी गर्मी
साधारण सा ही है ये दिन
पर जाने क्यों मन चाहता है
इक तूफ़ान सा आए
फूलों में हरकत हो
सड़क चलती नज़र आए
गुलमोहर की छप्पर नुमा
पत्तियों को पंख लग जाएं
सारी बुलबुलें, गिलहरियां, कलियां
मेरे आगोश में समा जाएं
हरकत हो कुछ, बहुत हुई खामोशी
उफ्फ़! ये मन मरवाएगा कभी !!
Anupama
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