इंद्रधनुष का सतरंगा लहरिया.. अमरुद के लालगी ओढ़े बुढ़ाते पत्ते.. अर्जुन के धूसर बीज.. मखमली घास का मीलों बिछा कालीन… मस्ती में सिर उठाये हवा के हिचकोले पर मटकते कबूतर, कागे, मैना, कोयल… वातावरण में रची बसी पुराने पत्तों… सूखे बीजों की खुशबू… गगन चूमते मदमाते पेड़ों की डालियाँ.. बदरपुर की लाली में चूने की सफेदी से बनतीं मिटतीं कलाकृतियां… साँसों में ताज़गी भरने की चाह… और दिल में उमड़ते ख्वाहिशों का सैलाब… आज की सुबह की हसीन शुरुआत आधा दिन बीतने पर भी मन लुभाती हुई..
Anupama
Recent Comments