आज किसी ने जीवन मृत्यु का रहस्य समझाया मुझे.. कहने लगा.. हमें उम्र नहीं सांसें मिलीं हैं जीने के लिए.. उम्र के मानक तो हमारे अपने बनाये हैं.. दिनों, महीनों, वर्षों में बंटे.. जाली.. दरअसल तो सिर्फ सांसें मिलीं हैं.. इन्हें उच्छ्वास में ज़ाया न करो.. न किसी से नाराज़ रहो.. न किसी पर गुस्सा करो.. ऊर्जा बहुत कीमती है.. उलटी गिनती जारी है किसी कंट्रोल रूम में… जहां कोई रिश्वत कोई पहचान काम नहीं आती.. निर्मम गणना अपनी चरम सीमा पर पहुंचते ही इंसान को पुतला बना देगी.. सांस खत्म.. इहलीला समाप्त… कम से कम इस शरीर पर फिर तुम्हारा कोई ज़ोर न होगा… कृत्रिम हवाएँ.. बिजली के झटके.. रासायनिक इंजेक्शन.. कुछ काम न आएगा.. जीना है तो बस जी लो.. इक सांस से दूसरी सांस तक.. दम निकल गया तो लीक हुए गुब्बारे से ज़्यादा नहीं तुम…
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