Hindi Poetry

गहन


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उदासी का वर्ण गहन, कितना गहन !

किंचित् असंख्य मीन

उथले जल ने

पटक दीं हों

जीवनदायिनी वायु

घुल गिलों में

प्राण हर रही हो

तन्तुओं में हलचल, विचलित मन,

शिराओं में स्फुटन, ह्रदय में कंपन

उदासी का वर्ण गहन, कितना गहन !

Anupama

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