Sudarshan Faakir ki tarz par
इश्क़ है इश्क़ ये मज़ाक़ नहीं
चंद लम्हों में फ़ैसला न करो
हकीकत ए शाख है ख़्वाब नहीं
सुर्ख गुलों को बर्बाद न करो
पाक इबादत है कागज़ात नहीं
जाली कवायद में ज़ाया न करो
रूहानी परिंदा है सय्याद नहीं
जिस्मानी कफ़स में तड़पाया न करो
इश्क़ है ‘अनु’ रद्दी पुर्जा नहीं
पैगाम को नज़रअंदाज़ न करो
Anupama
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