Hindi Poetry

गज़ल

Sudarshan Faakir ki tarz par

इश्क़ है इश्क़ ये मज़ाक़ नहीं
चंद लम्हों में फ़ैसला न करो

हकीकत ए शाख है ख़्वाब नहीं

सुर्ख गुलों को बर्बाद न करो

 

पाक इबादत है कागज़ात नहीं

जाली कवायद में ज़ाया न करो

 

रूहानी परिंदा है सय्याद नहीं

जिस्मानी कफ़स में तड़पाया न करो

 

इश्क़ है ‘अनु’ रद्दी पुर्जा नहीं

पैगाम को नज़रअंदाज़ न करो

Anupama

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