Hindi Poetry

एक और गज़ल

चूड़ियों की खनक हुई बावरी

चांदनी रातें बेसबब नहीं आतीं

गुनगुना रही अलमस्त हवा

काली घटाएं बाज़ नहीं आतीं

जादू सा घुला है फिज़ा में

खामोश सदाएं शोर नहीं मचातीं

समेट ले, नशीली सौगातें ‘अनु’

फलक से सितारियां रोज़ नहीं आतीं !!

Anupama

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