दूर मत जाओ, एक दिन के लिए भी नहीं, क्योंकि
क्योंकि मैं नहीं जानता कैसे कहूँ,
एक दिन बहुत लंबा है
और मैं तुम्हारा इंतज़ार करता रहूँगा
जैसे एक खाली स्टेशन,
जहाँ रेलगाड़ियां कहीं दूर सो रही हैं !
मुझे मत छोड़ो, एक घंटे के लिए भी,
क्योंकि
चिंता की छोटी बुंदकियाँ बहने लगेगीं
घर ढूंढता आवारा धुआं मुझमें समाने लगेगा,
मेरे खोये दिल को कचोटते हुए !
काश! तुम्हारा साया कभी भी
सागर किनारे घुल न पाए
तुम्हारी पलकें कभी भी
दूर शून्य में न फड़फड़ाएं
मुझे एक पल के लिए भी
मत छोड़ो, मेरी प्रियतमा !
क्योंकि उस एक पल में
तुम इतनी दूर चली जाओगी कि
मैं धरा पर भूलभुलैया में
भटकता रहूँगा, बस यही पूछता
क्या तुम वापिस आओगी?
क्या तुम मुझे यहीं छोड़ जाओगी,
मरने के लिए?
Pablo Neruda
Translated Anupama
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