Hindi Poetry

Dali Painting

सुना था तस्वीरें बोलती हैं
पर आज देखा उन्हें रूप बदलते भी
पहली नज़र में Dali की ये पेंटिंग मुझे छू गई

सांझ के कगार पर मद्धम सी रोशनी में
इक दूजे की आंखों में खुद को खोजते
बुजु़र्ग दंपति, नवविवाहित जोड़े से
कहीं ज़्यादा प्यार में लगे
आखिर खो देने का डर जो खो चुके
बस सांसों को इक दूजे में संजोए
जिये जा रहे हैं मीठे पल !

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पर फिर इस दिमाग ने पलटी खाई
मुझे दिखने लगे दो भाई
सुरापान करते, संगीत की धुन पर
नया राग रचते, जीवन की उधेड़बुन में
छोटी-छोटी खुशियों को मुठ्ठी में बंद करते!

शायद यहीं रूक जाती ये कहानी
गर वो शरमाती सकुचाती अबला न दिखती
चारदिवारी की ओट से डबडबी आंखों से झांकती
अपनी डयोड़ी की लक्ष्मणरेखा पर पांव पटकती
न जाने कितने बिंब जुड़ने लगे
अनगिनत व्यथाओं से परदे उठने लगे!

और तभी नज़र आया मुझे वो झूमर
तस्वीर ने फिर रूख बदला, अब न थी वो अबला
शायद मंच पर नृत्य-संगीत की महफि़ल जमी थी
इक नर्तकी, दो संगीतकारों की जुगलबंदी हो रही थी!

मैं देखती रही, कहानी बदलती रही
प्रेम से मस्ती,मज़बूरी से
अदायगी के पासे चलती रही!

और मैं सोचने लगी
सच, जीवन की सच्चाई भी कितनी झूठी है
हो सुख की चरम अनुभूति या
दुख की असहनीय अभिव्यक्ति
मुख से तो निकले बस आह! जिंदगी !!
Anupama

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