ओढ़ चुनर तारों की
बांध पैंजनी पत्तों की
हौले हौले निशा चली
चाँद का साया गहरा सा
बादलोँ का जत्था ठहरा सा
शिवली महकी महकी सी
गुलबिया बहकी बहकी सी
चमेलिया करती कानाफूसी
गेंदे की भी कली खिली
मद्धम मद्धम हवा चली
शीत की प्रेयसी हौले से
मेरे आँगन ठुमक रही !!
Anupama
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