Hindi Poetry

शीत की प्रेयसी

ओढ़ चुनर तारों की
बांध पैंजनी पत्तों की
हौले हौले निशा चली

चाँद का साया गहरा सा
बादलोँ का जत्था ठहरा सा
शिवली महकी महकी सी
गुलबिया बहकी बहकी सी
चमेलिया करती कानाफूसी
गेंदे की भी कली खिली

मद्धम मद्धम हवा चली
शीत की प्रेयसी हौले से
मेरे आँगन ठुमक रही !!
Anupama

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