Hindi Poetry

बादल

देखा यूं ही ध्यान से अभी वो आसमां
न चांद दिखा न तारे कि छितरे काले मेघा
झूमते पेड़ दिखे, गाती वायु घंटियाँ
पल पल जीने को आतुर उन्मुक्त बदलियाँ
हवा की सरसराहट भी थी उनमें
पत्तों की फड़फड़ाहट भी
आ रही है धीमे धीमे जीने की आहट भी!

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