मेरे शब्द तुम पर बरसते हैं, तुम्हें सहलाते हैं
लंबे समय तक धूप में सीप सी तपती
तुम्हारी काया से मैं प्यार करता हूँ।
मैं तो ये भी सोच लेता हूँ कि पूरा संसार तुमसे ही है
मैं तुम्हें पहाड़ों से हंसमुख फूल लाकर दूंगा
नीलघंटिकाएं, भूरी सुपारियां और अपरिष्कृत-अंक-चुंबन
मैं तुम्हारे साथ वही करना चाहता हूँ
जो वसंत करता है, चैरी के वृक्षों के साथ!
Pablo Neruda who else 🙂
Translation by Anupama
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