Fiction

कल रात

कल रात

कल रात आंगन में चक्कर लगा रही थी। खरबूजे सा चांद अशोक के ठीक पीछे से झांक रहा था जैसे मुझे न्योता दे रहा हो, आसमान में आने का, धीमे-धीमे बादलों की सीढ़ियों पर पांव रख गुरु को कनखियों से देख, उसकी समझ-बूझ को खुद में बसाने का। कैसा धुला-धुला […]

by May 19, 2019 Fiction, Fursat ke Pal
टूटन

टूटन

बारिश, नाम ही काफी हुआ करता था.. चेहरे पर मुस्कान और कलम में जान आ जाया करती.. बूंदें धरती पर गिरें, उस से पहले ही दवात में समेट लेती.. मिट्टी की भीनी खुशबू, बादलों की गड़गड़ाहट, बिजली की चमक, झूम लेने का सबब हुआ करती थी.. सदाबहार के पत्ते हवा […]

by May 15, 2019 Fiction, Fursat ke Pal
पर्दा

पर्दा

मेरी लघुकथा, पर्दा    

by April 10, 2019 Fiction
Sitare

Sitare

by October 15, 2018 Fiction
गर्मियां

गर्मियां

कहने को तो अभी मार्च ही चल रहा है, पर दिल्ली की गरम सनसनाती हवा और चौंधियाता सूरज, मुझे बचपन की मई जून वाली छुट्टियां याद दिला रहे हैं…लू के थपेड़े, स्कूल से निजात दिलाते और नंदन, चंपक के सुनहरे दिन बरबस चले आते… होमवर्क करने का ख्याल तो मुझे […]

by March 30, 2018 Articles, Fiction, Fursat ke Pal
बहीखाता

बहीखाता

तन की पीड़ा मन को उड़ने से रोक नहीं पाती.. धरातल पर विषम पड़ते कदम, गगनचुंबी इमारतों पर इठलाते ख्यालों से ताल मिलाएं भी तो कैसे… हल्की सी मुस्कान होंठों में दबाए, गलियारे में चली आती हूं.. सब परिचित हैं यहां, ज़्यादा नहीं पर दुआ सलाम का नाता तो होना […]

by January 29, 2018 Fiction, Kuch Panne
दर्पण

दर्पण

तुम कभी इस कदर फूट फूट कर रोए कि अंतड़ियों में बल पड़ जाएं… मुंह फाड़कर, बिन आवाज़ किए, इतनी ज़ोर से चींखे कि आत्मा के कानों में पस पड़ जाए… अपनी ही धड़कनों का धोंकनी सा धधकना महसूसा कभी.. हाथ जोड़, सर पटक, मर जाने की गुज़ारिश की कभी… […]

by January 2, 2018 Fiction, Kuch Panne
काश

काश

आज, बहुत दिनों बाद सूरत देखी आईने में। निस्तेज चेहरा, आंखों के नीचे काले घेरे, फटे होंठ, रूखे बाल ! हैरां हूँ मैं उस अक्स को देखकर। क्या सचमुच ये हूँ मैं? वो हंसती-खिलखिलाती प्रीत कहां खो गई। याद है न तुम्हें, मेरा नाम ! तुम्हीं ने बिगाड़ा था या […]

by November 5, 2017 Fiction