Recital

Gazal: Adam Gondvi

Gazal: Adam Gondvi

Hindi Gazal: Adam Gondvi हिंदी गज़ल: अदम गोंडवी अदम गोंडवी साहब हिंदी गज़ल के जाने पहचाने नाम हैं.. उनकी रचनाएं मिट्टी से जुड़ी हैं, ग्रामीण परिवेश और वहां की मुश्किलों को सामने लाती.. उनकी एक बेहतरीन विशेषता है कटाक्ष और व्यंग्य का सृजनात्मक प्रयोग.. पेश हैं उनकी ऐसी ही दो […]

by November 6, 2017 Recital

कविता पाठ: रंग, यादें

Hindi Kavita: Rang, Yaadein, Anupama Sarkar हिंदी कविता: रंग, यादें, अनुपमा सरकार जीवन में अच्छा और बुरा वक़्त हाथ थामे चलता है.. अक्सर परिस्थितियों के अनुसार ही खट्टे मीठे अनुभव भी मिलते हैं.. और यादों में बस जाते हैं.. इन्हीं पलों को पिरोया है अनुपमा सरकार ने अपनी कविताओं “जीवन […]

by November 2, 2017 Hindi Poetry, Recital

आत्मकथ्य: जयशंकर प्रसाद

जयशंकर प्रसाद जी, छायावाद युग के स्तम्भ कवि माने जाते हैं.. उनकी कामायनी विशुद्ध एहसासों की वैतरणी है.. वे जितना मधुर लिखते थे, उतना ही सारगर्भित भी प्रेमचन्द जी ने जब हंस के आत्मकथा विशेषांक के लिए उनसे कृति भेजने को कहा, तो प्रसाद जी अपने जीवन के सुख दुख, […]

by October 29, 2017 Hindi Poetry, Recital
कविता पाठ: मेरी प्यारी सहेली

कविता पाठ: मेरी प्यारी सहेली

कविताएं मन का आइना होती हैं… हमारे परिवेश और दृष्टिकोण की सौंधी सौंधी महक होती है उनमें.. और जो कविता शुरुआती दौर में लिखी जाए, वह तो मन के और करीब आ जाती है और ताउम्र बुलाए नहीं भूलती ऐसी ही एक कविता गढ़ी थी,अपनी तन्हाई से बतियाते हुए.. सुनिए […]

by October 24, 2017 Hindi Poetry, Recital
कविता पाठ: सजीव निर्जीव

कविता पाठ: सजीव निर्जीव

कभी कभी विचारों का रेला यूं उमड़ता है कि बिन शब्दों में ढले, आपको चैन नहीं आता… एक दिन मेट्रो में कुछ ऐसा ही अनुभव हुआ था.. ऐसा लगा मानो, ज़िन्दगी की भागदौड़ में इंसान रोबोट बनता जा रहा है… संवेदनाएं कहीं पीछे छूट रही हैं… और हम बस किसी […]

by October 24, 2017 Hindi Poetry, Recital
एक स्वावलम्बी स्त्री

एक स्वावलम्बी स्त्री

आत्मनिर्भर हूँ मैं, एक स्वावलम्बी स्त्री पुरुषों के समाज में कांधे से कांधा मिलाती स्वाधीन भारत के निर्माण में कहीं कोई छोटा सा योगदान दे खुद को जागरूक नागरिक सामाजिक प्राणी, एक सम्मानित इकाई सिद्ध करने का भरसक प्रयास करती हाई हील पहनकर सीमेंट के फर्शों पर खटर पटर चलते […]

by November 27, 2015 Hindi Poetry, Recital
रावण

रावण

धू-धू करके रावण के पुतले जलने लगे बुद्धिमान इस पर भी सवाल खड़े करने लगे कहते हैं पुतलों से क्या होगा भीतर का रावण मारो कुंभकर्ण तो भाई सगा था विभीषण को गोली मारो सीता ही नहीं थी पतिव्रता मंदोदरी का गुनगान करो राम ने ऐसा क्या किया आज जो […]

by October 3, 2014 Hindi Poetry, Recital
A Poem inspired by a Novel

A Poem inspired by a Novel

Inspiration strikes me in strangest of places. I have just finished an emotionally rocking novel “Out of the Dark” written by Linda Caine and Robin Royston. Though written as a gripping suspense book, it is autobiography of a strong woman Linda Caine, who suffers through severe bouts of depression and […]

by September 1, 2014 Hindi Poetry, Recital