Defender June 2017
जनमीडिया की द्विभाषी पत्रिका डिफेंडर के जून अंक में मेरी एक कविता
जनमीडिया की द्विभाषी पत्रिका डिफेंडर के जून अंक में मेरी एक कविता
“मधुराक्षर” का अप्रैल जून 2017 अंक कुछ दिन पहले मिला.. खूबसूरत कवर पेज और विविध विधाओं को सम्मिलित करती ये पत्रिका, पहली नज़र में ही भा गयी.. कारण रहा बृजेन्द्र अग्निहोत्री जी द्वारा लिखा, हिंदी साहित्य की सामयिक बुराइयों पर चोट करता सार्थक सम्पादकीय.. एक कड़ा रुख अपनाते हुए बृजेन्द्र […]
आज देखा अजब नज़ारा गुलमोहर भी किसी से हारा! हुआ कुछ यूं कि हम चल रहे थे दीवार के साथ साथ वही निर्जीव लाल दीवार जो अपने पीछे जाने कितनी सुंदरता छुपाए बैठी है! पर आज उसकी शान ही कुछ अलग थी अमलतास के फूलों से जो ढकी थी कोमल […]
मधुराक्षर के अप्रैल-जून 2017 अंक में प्रकाशित मेरी दो कविताएँ 🙂
उलझ जाती हूँ इन शब्दों के मकड़जाल में। असीमित वाक्य अनकहेे स्वर विरामों में छुपे नए तथ्य। अब तो इन शब्दों की गर्दन दबोचना चाहती हूँ बांहें मरोड़ना पांव तोड़ना चाहती हूँ अर्क निकाल देना चाहती हूँ भाषा के इन प्रहरियों का शायद कुछ नए अर्थ समझ पाऊँ! Anupama (Published […]
आज छात्र संसद अखबार में प्रकाशित मेरी कविता
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