ज़रूरी है
कभी पुरजोर आवाज़ में कहती थी कि ख़बरें देखने सुनने से परहेज़ है मुझे… नकारात्मकता फैलाती हैं… पर अब इस वक़्त, जब नेगेटिविटी, बीमारी और उस से कहीं ज़्यादा मनुष्य की ढकी छुपी स्वार्थी बर्बरता, मुखर हो चली है… मुझे लगता है कि ख़बरें पढ़ना और वर्तमान स्थिति का संज्ञान […]
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