Kuch Panne

ये मन

ये मन

ये मन कभी-कभी अनजाने ही आप कुछ लोगों के बेहद करीब आ जाते हैं। खास जगह बन जाती है उनकी आपकी ज़िंदगी में। और कभी बस यूं ही किसी से इतने परेशान कि सामने आना दूर की बात, समय-असमय हुआ टकराव भी चुभने लगता है। किस पर मढ़ें दोष? उन […]

by February 9, 2017 Kuch Panne, My Published Work
दीवा

दीवा

“बापू सोड़े में चांदना दीखे है…. दीवे ने फूंक मार दे… दीखना बंद हो जाऊगा” हंसते हुए अपनी भाषा में एक जोक सुनाया उन्होंने, हरयाणवी की खड़ी बोली का स्वाद लेने के बाद मैंने हिंदी रूपांतरण पूछा… वो कहने लगे एक लड़के की रजाई पुरानी हो गयी थी, उसने पिता […]

by January 21, 2017 Kuch Panne
कुछ पन्ने 2

कुछ पन्ने 2

अति संवेदनशील मन स्पंज की भांति अपने आसपास होने वाली घटनाओं, बातों, लोगों से प्रभावित हो जाता है.. जाने अनजाने वे सब उसका एक हिस्सा बनने लगते हैं… और हर तरह का प्रभाव अच्छा ही हो, ज़रूरी तो नहीं, तब बेहद ज़रूरी हो जाता है कि आप खुद को आसपास […]

by January 15, 2017 Kuch Panne
कुछ पन्ने 1

कुछ पन्ने 1

मूरत से लगाव हुआ नहीं कभी.. नहीं, नहीं ऐसा नही कि भगवान में विश्वास नहीं…. है, प्रगाढ़ आस्था है और हो भी क्यों नहीं… कहीं सोची पढ़ी है ऐसी शख्सियत, जो सब कुछ खुद करने में सर्वथा समर्थ होने के बावजूद, आपको अपनी मर्ज़ी से सोचने, समझने, चलने, गिरने की […]

by January 15, 2017 Kuch Panne