Kuch Panne

इंसानियत

इंसानियत

घर जाते हुए अचानक दो औरतें, रिक्शे के सामने आ गईं.. चेहरे घूंघट से ढके, एक हाथ में बच्चा लिए बेतहाशा भागती.. पहली बात जो दिमाग में कौंधी, वो यही कि शायद मुसीबत में हों, कोई अपना बीमार होगा.. अस्पताल के आसपास ऐसे दृश्य देखकर अमूमन यही बात, सबसे पहले […]

by June 12, 2018 Kuch Panne
तूफान

तूफान

एक दोस्त की कविता पढ़ी और मन में कुछ दिन पहले की याद ताज़ा हो अाई.. पिछले दिनों दिल्ली में बहुत ज़ोर से आंधी तूफान आता रहा, ओलों और बहुत तेज़ हवा से घबराहट हो रही थी मुझे.. पर अचानक आंगन में गुलाब का फूल देखा, हवा के थपेड़े सहता.. […]

by May 24, 2018 Kuch Panne
बहीखाता

बहीखाता

तन की पीड़ा मन को उड़ने से रोक नहीं पाती.. धरातल पर विषम पड़ते कदम, गगनचुंबी इमारतों पर इठलाते ख्यालों से ताल मिलाएं भी तो कैसे… हल्की सी मुस्कान होंठों में दबाए, गलियारे में चली आती हूं.. सब परिचित हैं यहां, ज़्यादा नहीं पर दुआ सलाम का नाता तो होना […]

by January 29, 2018 Fiction, Kuch Panne
प्यार या परवाह

प्यार या परवाह

कुछ समय पहले Forrest Gump देखी थी, टॉम हैंक्स जो भी किरदार निभाते हैं, इतनी शिद्दत से उसे स्क्रीन पर उतारते हैं कि आप कहानी को सच समझ बैठें, और उस किरदार के साथ आने वाली परेशानियों और खुशियों में शामिल हो जाएं.. बस यही हाल मेरा था, जब जब […]

by January 16, 2018 Fursat ke Pal, Kuch Panne
दर्पण

दर्पण

तुम कभी इस कदर फूट फूट कर रोए कि अंतड़ियों में बल पड़ जाएं… मुंह फाड़कर, बिन आवाज़ किए, इतनी ज़ोर से चींखे कि आत्मा के कानों में पस पड़ जाए… अपनी ही धड़कनों का धोंकनी सा धधकना महसूसा कभी.. हाथ जोड़, सर पटक, मर जाने की गुज़ारिश की कभी… […]

by January 2, 2018 Fiction, Kuch Panne
सितारों की पालकी

सितारों की पालकी

काश किसी रोज़ बादलों की मखमली चादर ओढे़ देर तक सोती रहती। सूरज अपनी चिलमिलाती धूप को बरगद की छांव में छिपा कर, दबे पांव किरणों का इंद्रधनुष अपनी हथेलियों में समेटे, मेरे करीब आता। गुलाब की पंखुडियां नशीली हवा में झूमती, हौले से पांवों में गुदगुदी करतीं। ओस की […]

by December 10, 2017 Fursat ke Pal, Kuch Panne

आवरण

10 बाय 10 के कमरे में दो फुट के रोशनदान से आती रोशनी देखकर गढ़ लेती हूं, गुनगुने ख़्वाब… हाथ बढ़ाकर, खुली आंखों से छू लेती हूं, जगमग आग का गोला… मन की खिन्नता, उंगलियां जला देती है.. पल भर की खुशी, दिल गुदगुदा जाती है… ठन्डे फर्श पर पांव […]

by November 26, 2017 Kuch Panne

सड़न

उत्सव, खुशी, जीवन, उमंग… सकारात्मक ऊर्जा बहती है इनमें… मन भावविभोर हो, डोलता है… तन में स्फूर्ति और सोंदर्य स्वयमेव प्रकट हो जाते हैं… जैसे कोई सोता फूट पड़ा हो… चट्टानों को भेेदता, ऊंचाइयों को रोंदता.. धरातल से मिलन को आतुर प्रेयस सा अधीर… आह! पल पल मधुर गान, सुमन […]

by October 2, 2017 Kuch Panne