Hindi Poetry

कविता पाठ: रंग, यादें

Hindi Kavita: Rang, Yaadein, Anupama Sarkar हिंदी कविता: रंग, यादें, अनुपमा सरकार जीवन में अच्छा और बुरा वक़्त हाथ थामे चलता है.. अक्सर परिस्थितियों के अनुसार ही खट्टे मीठे अनुभव भी मिलते हैं.. और यादों में बस जाते हैं.. इन्हीं पलों को पिरोया है अनुपमा सरकार ने अपनी कविताओं “जीवन […]

by November 2, 2017 Hindi Poetry, Recital
धोबन

धोबन

बरसों से वो धोबन मेरे घर आती है गठरी में बंधे कपडे़ इस्त्री को ले जाती है नाम नहीं जानती मैं उसका शायद लाडो हो बचपन में या कोई देवी पर मुझे हमेशा से बेटा कहकर ही बुलाती है आज वो कुछ झुकी सी लगी, आंखें मीची सी पेशानी पर […]

by October 30, 2017 Hindi Poetry

आत्मकथ्य: जयशंकर प्रसाद

जयशंकर प्रसाद जी, छायावाद युग के स्तम्भ कवि माने जाते हैं.. उनकी कामायनी विशुद्ध एहसासों की वैतरणी है.. वे जितना मधुर लिखते थे, उतना ही सारगर्भित भी प्रेमचन्द जी ने जब हंस के आत्मकथा विशेषांक के लिए उनसे कृति भेजने को कहा, तो प्रसाद जी अपने जीवन के सुख दुख, […]

by October 29, 2017 Hindi Poetry, Recital
कविता पाठ: मेरी प्यारी सहेली

कविता पाठ: मेरी प्यारी सहेली

कविताएं मन का आइना होती हैं… हमारे परिवेश और दृष्टिकोण की सौंधी सौंधी महक होती है उनमें.. और जो कविता शुरुआती दौर में लिखी जाए, वह तो मन के और करीब आ जाती है और ताउम्र बुलाए नहीं भूलती ऐसी ही एक कविता गढ़ी थी,अपनी तन्हाई से बतियाते हुए.. सुनिए […]

by October 24, 2017 Hindi Poetry, Recital
कविता पाठ: सजीव निर्जीव

कविता पाठ: सजीव निर्जीव

कभी कभी विचारों का रेला यूं उमड़ता है कि बिन शब्दों में ढले, आपको चैन नहीं आता… एक दिन मेट्रो में कुछ ऐसा ही अनुभव हुआ था.. ऐसा लगा मानो, ज़िन्दगी की भागदौड़ में इंसान रोबोट बनता जा रहा है… संवेदनाएं कहीं पीछे छूट रही हैं… और हम बस किसी […]

by October 24, 2017 Hindi Poetry, Recital
निराला: संध्या सुंदरी

निराला: संध्या सुंदरी

हिंदी काव्य प्रेमियों के लिए सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, किसी परिचय के मोहताज नहीं…. छायावाद के स्तम्भ कवि, अपनी श्रेष्ठ प्रकृति कविताओं और अनूठी उपमाओं के लिए जाने जाते हैं.. उन्हें पढ़ना सुखद अनुभूति है… अनायास ही प्रेम हो जाता है उनके लयमय छंदों से.. हृदय वीणा सुमधुर बज उठती है […]

by October 23, 2017 Articles, Editors Desk, Hindi Poetry
तुम और मैं

तुम और मैं

भीगे भीगे पलों में सूखे सूखे लम्हों में तुम चले आते हो बारिश की बूंदों में धूप की किरचों में तुम ही गुनगुनाते हो बगीचे में, दरीचे में खिंचे खिंचे, भिंचे भिंचे तुम ही नज़र आते हो जाने कितने सावन बीते पतझड़ कितने फना हुए कितना चींख चींख रोए कितना […]

by September 3, 2017 Hindi Poetry
Poems by Anupama

Poems by Anupama

चांद नदारद है तारे भी हड़ताल पर उदास आसमां गहरी सांस ले पेड़ से झूलते चमगादड़ के कान में हौले से बुदबुदा रहा “मैं भी कभी ज़मीं हुआ करता था जाने कब कैसे उल्टा लटक गया” Anupama उसका वक़्त बहुत मामूली था बिन सोचे पलों को खर्च कर दिया उसका […]

by August 27, 2017 Hindi Poetry