Hindi Poetry

काफ्का और मैं

काफ्का और मैं

हवा में हल्की सी ठंडक, उनींदी अंखियां और खिड़की से छनकर आती धूपिली गोलियां अंगड़ाई लेते हुए बिस्तर से उठने की कोशिश में यकायक धरती डोलती महसूस हुई भूकम्प! सोचते ही नस नस झनझना उठी पर नहीं, आसपास नज़र दौड़ाई मैं बिस्तर पर नहीं, ट्रेन में थी शीशे के पार, […]

by February 6, 2018 Hindi Poetry
प्रेमी

प्रेमी

तुम शिद्दत से ढूंढ़ते रहे वो इंसान जो मेरे होंठों पर मुस्कान और आंखों में चमक ले आता है तुमने मेरे आसपास के लोगों को टटोला जानना चाहा कि कौन, कब, किस तरह मेरी छोटी सी ज़िन्दगी में घुसपैठ बनाए है कहां से छलकता है वो अमृत जिसके घूंट भर […]

by February 5, 2018 Hindi Poetry
प्रेम

प्रेम

पुरुष का दंभ उसके प्रेम पर हावी रहता है आकर्षण, निवेदन, स्वीकृति, मिलन सहज सोपान से दिखते हैं एक के बाद दूसरा अवश्यंभावी और पूर्ण होते ही विचलन.. स्त्री की कोमलता उसके प्रेम पर हावी रहती है लज्जा, संकुचन, स्वीकृति, मिलन पर्वतारोहण से दिखते हैं एक के बाद दूसरा कठिन […]

by February 3, 2018 Hindi Poetry
आवाज़

आवाज़

आधा जीवन बीत जाने के बाद अचानक एक कुलबुलाहट व्यक्ति, परिस्थिति, कारण स्पष्ट याद नहीं पर धीमे धीमे उभरती ये आवाज़ अंतर्मन की कोठरियों से टकरा जिह्वा के दंश से हो घायल होने और न होने के बीच मृत्यु के द्वार तक लकीर खींच सरपट भागती देह को जकड़ लेती […]

by January 28, 2018 Hindi Poetry
ज्ञानी

ज्ञानी

ज्ञानी, ध्यानी, अभिमानी कितने स्वरूप हैं इस मन के कभी आध्यात्म पक्ष मुखर हो उठता हर बात में कारण टटोलता कभी डूब जाता अथाह सागर में गोते लगा नित नये मोती खोजता अवलोकन की सतर्क क्रिया से अनजाने ही मूल्यांकन की प्रक्रिया में विलीन हो जाता ज्ञान, ध्यान खो जाते […]

by December 26, 2017 Hindi Poetry
कोहरा

कोहरा

कोहरे का झीना दुपट्टा धूपीली किनारी और बाहों में खुद को समेटती वो मतवाली ये सुबह सरदी का पैग़ाम लाई है अलाव की ज़ीनत लौट आई है, लौट आई है…. Anupama

by December 25, 2017 Hindi Poetry
धूर्त

धूर्त

कर्म, मर्यादा, कर्त्तव्य खोखले शब्द समाज का एकमात्र हथियार “अधिकार” स्नेह, करुणा, सहृदयता “अवगुण” व्यक्ति का सर्वोत्तम स्वरूप शठ, चंट, धूर्त….

by November 20, 2017 Hindi Poetry
स्टापू

स्टापू

by November 3, 2017 Hindi Poetry