काफ्का और मैं
हवा में हल्की सी ठंडक, उनींदी अंखियां और खिड़की से छनकर आती धूपिली गोलियां अंगड़ाई लेते हुए बिस्तर से उठने की कोशिश में यकायक धरती डोलती महसूस हुई भूकम्प! सोचते ही नस नस झनझना उठी पर नहीं, आसपास नज़र दौड़ाई मैं बिस्तर पर नहीं, ट्रेन में थी शीशे के पार, […]
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