Hindi Poetry
मुबारकबाद
तुमने रंगीनियों को चाहा शीशों से इमारतों को सजा दिया मैंने रंगों को चाहा तितलियों को हथेली पर बिठा लिया तुमने संगीत को चाहा सुरों को राग ताल में साध लिया मैंने सुरों को चाहा बुलबुल के गीतों में खुद को भुला दिया तुमने अमीर होना चाहा सिक्कों की खनक […]
प्रेम या देह
प्रेम प्रेम प्रेम रटने वाले देह देह देह चखने वाले रचेंगें शब्द बेचेंगें भाव और फिर आंखें मूंद, मौन धर दर्शन की पीठ चढ़ लेंगे एक और कश खीसें निपोर कहेंगे स्त्री तुम महान हो हमारा सम्मान हो यूं ही बेवकूफ बनती रहना….. Anupama Sarkar
प्रमाद
पक्ष विपक्ष तर्क वितर्क के तराजू में भाव हल्के पड़ते जाते हैं जर्जर होते तन और क्षीण पड़ते मन के उद्गार कंठ में सिमटे रह जाते हैं मंथर बुद्धि क्षिथिल धड़कन कांपते हाथ फिसलते पांव बढ़ती आयु के ही परिचायक नहीं कहीं भीतर, गहरे, बहुत गहरे रिसते घावों की टीस […]
भेड़ें
मिमियाती भेड़ें लीक पर चलती इक दूजे से टकराती भेड़ें बाड़े की सुरक्षा घास पानी को ललचाती भेड़ें सालों की दहशत यादों की गर्त में खौफज़दा गिड़गिड़ाती भेड़ें सालों पहले हवा में डंडा लहराया था मेमने का दिल घबराया था बाड़ा टूटने न पाए लकीर छूटने न पाए गडरिए ने […]
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