प्रतिबिम्ब
कहते हैं आईना कभी झूठ नहीं बोलता खोल देता है राज़ सारे छुपा के रखे हों जो ज़ख़्म करारे। हम भी बैठ गए इस बात को आजमाने खुद को अपने ही प्रतिबिम्ब से मिलाने। कुछ पल दर्पण में ध्यान से देखा बाल बनाए संवारी चेहरे की रूपरेखा। और फिर झांकना […]
कहते हैं आईना कभी झूठ नहीं बोलता खोल देता है राज़ सारे छुपा के रखे हों जो ज़ख़्म करारे। हम भी बैठ गए इस बात को आजमाने खुद को अपने ही प्रतिबिम्ब से मिलाने। कुछ पल दर्पण में ध्यान से देखा बाल बनाए संवारी चेहरे की रूपरेखा। और फिर झांकना […]
बिखरे थे अनजान गली के मोड़ पर अधजले कागज़ के कुछ टुकड़े मुड़े तुड़े कुछ काले कुछ उजले। थे शायद किसी टूटे दिल की दर्द भरी सिसकियां प्रेम से संजोई गुस्से में जलाई आखिरी पातियां। या थे किसी बेरोज़गार के नामंज़ूर हुए आवेदनों की वेदना बार बार की विफलता से […]
सेमल के फूल देख आज आप बहुत याद आए देख लाल पुष्प मानस पटल पर कई चित्र उभर आए। याद आया वो गुज़रा ज़माना जब ये फूल हमारी सैर का हिस्सा होते थे उनका आकार प्रकार एक नया किस्सा होते थे। पूछते थे लोग अक्सर क्यों धूप में यों भटकती […]
घने थे बादल गहरा काला आकाश मद्धम पड़ गया था सूर्य का प्रकाश टूट कर गिर रहीं थीं पत्तियां मासूम फूलों की संगियां पल भर को उड़ती फिर लहराकर गिर जाती तेज़ हवाओं के शंखनाद में अपना अस्तित्व ढूंढती लगा खो सी गई मेरे दिल की आहट भी उन पत्तों […]
चांद तो सबने देखा होगा आज मैंने सूरज देखा कुछ आधा सा काले बादलों के आगोश में समाता सा। अपनी लालिमा को समेटता मेघ की कालिमा बटोरता नये आशिक की तरह कभी ऐंठता कभी शर्माता सा। सहसा ख्याल आया ये कैसा मिलन? प्रकृति के प्रतिकूल नियमों का उल्लंघन! भिन्न भिन्न […]
बचपन में कभी सजीव निर्जीव का अंतर समझा था। सजीव वो जो चलता है बोलता है सांस लेता है सोचता है निर्जी व वो जो,है इससे बिल्कुल उलट दिखने में सुंदर पर असल में मरघट! कुछ बड़ी हुई तो इस अंतर पर गौर करने लगी अपनी तुलना पेड़ पौधों पंछियों […]
यहां की ज़मीं, यहां का आसमां यहां की हवा, यहां का पानी सब में बस ज़हर ही ज़हर भरा है। हर आदमी खुद से परेशान, दूसरों पर झुंझलाता यूं ही गुस्सा दिखाता। सबसे आगे निकल जाने की धुन में गिरता पड़ता ठोकरें खाता। एक अजीब सा माहौल है यहाँ, मेरी […]
ख्वाबों की कलम ले निकली मैं एक नया इतिहास रचने जहाँ हर पल एक नया अहसास हो जीवन की सच्चाइयों से साक्षात्कार हो। जज़बातों की सयाही में डुबो ये अनोखी कलम देखे मैंने कई सपने कुछ अनोखे कुछ वही अपने जहां थी शांति सुकून से भरी जहां थी हर घड़ी […]
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