फूलों की लड़ियाँ
लाल पीले फूलों की लड़ियां दीवारों पे लटकती पुरानी जर्जर इमारतें भी नए रंगों में चहकती। जिन बेजान पत्थरों में अपनी याद भी बाकी नहीं पुष्पों के संपर्क से सजीव हो चले ज्यों पैदा ही हुए हों महकने के लिए। बसंत क्या आई रूप ही बदल गया दीवारें बोल उठीं […]
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