वो कौन थी
आज फिर से उन्हीं गलियों से सामना हुआ। वही घूमती सड़कें, वही झूमते पेड़ और वही बूढ़ी अम्मां ! मेरा इस जगह से परिचय काफी पुराना है। एक समय था जब रोज़ यहाँ से गुज़रा करती थी। घंटे भर का सफ़र होता था घर से दफ्तर का। बस यूं ही […]
ये मन भी न अजीब है। गर्मियों की इस ऊबाऊ दोपहर में भी शीतल हवाओं से लबालब। याद आ रहा है मुझे वो भीगा सा मंजर जब पहली बार सागर की लहरों को महसूस किया था। सूरज सर पर था। धूप भी तेज। शायद वक्त भी अमूमन यही। पुरी का […]
सुबह 6 बजे अंगड़ाई लेती उनींदी अँखियों में जब लिशकाते सूरज की किरणें काँटों सी चुभें तो मन करता है न बादलों की चादर सर पे ओढ़ लेने का ! रोम रोम पुकारने लगता है उस शरारती चाँद को जो अपनी ठंडक खुद में समेटे चुपचाप रात्रि के तीसरे पहर […]
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