निर्मल वर्मा और लेखन
मैं उन्हें पढ़ने से बचती रही.. गाहे-बगाहे दोस्त उनका लिखा पढ़ते, सराहते… इस तरह मुझसे उनका आंशिक परिचय हो जाया करता… बेहद सरल शब्दों में सहजता से वे जो कुछ भी कहते, मैं अवाक हो पढ़ती कि यही तो, बस यही तो, मुझे भी कहना था… कैसे मेरे मन की […]
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