Fursat ke Pal

कल रात

कल रात

कल रात आंगन में चक्कर लगा रही थी। खरबूजे सा चांद अशोक के ठीक पीछे से झांक रहा था जैसे मुझे न्योता दे रहा हो, आसमान में आने का, धीमे-धीमे बादलों की सीढ़ियों पर पांव रख गुरु को कनखियों से देख, उसकी समझ-बूझ को खुद में बसाने का। कैसा धुला-धुला […]

by May 19, 2019 Fiction, Fursat ke Pal
दिनचर्या

दिनचर्या

बारिश की बूंदों का सीमेंट के फर्श और लोहे की बरसाती पर तड़कना.. बादलों का सूरज को आगोश में लेकर हुमकना.. मस्त पेड़ों का झोंकों संग ठुमकना.. आज की सुबह चुलबुली प्रकृति की अंगड़ाई संग शुरु हुई है.. अंधेरे की अभ्यस्त आंखें, आंगन में इठलाती हल्की रोशनी को एकटक निहार […]

by May 17, 2019 Fursat ke Pal
टूटन

टूटन

बारिश, नाम ही काफी हुआ करता था.. चेहरे पर मुस्कान और कलम में जान आ जाया करती.. बूंदें धरती पर गिरें, उस से पहले ही दवात में समेट लेती.. मिट्टी की भीनी खुशबू, बादलों की गड़गड़ाहट, बिजली की चमक, झूम लेने का सबब हुआ करती थी.. सदाबहार के पत्ते हवा […]

by May 15, 2019 Fiction, Fursat ke Pal
गुरु

गुरु

पहले गुरु का केवल सम्मान करती थी.. उन की प्रतिभा को नमन कर.. एक निश्चित दूरी बनाए रखने की भरसक कोशिश होती थी.. कई पूर्वाग्रह थे मन में.. कुछ नियम.. सलीके.. जो मुझे उनके समकक्ष खड़े होने की अनुमति प्रदान नहीं करते थे.. अब थोडा बदल गई हूँ… ज़िंदगी को […]

by July 19, 2018 Articles, Fursat ke Pal
जंगल बैबलर्स

जंगल बैबलर्स

“दो कानों में एक सर कर देना है तेरा” वो आंखें दिखाकर कहतीं और मैं फ्राक का सिरा मुंह में डाल चुपचाप बैठ जाती, टुकुर टुकुर दीदी को देखती और उनके होंठों पर मुस्कान की झलक देख जोर से खिलखिला उठती। मामीजी भी उस हंसी में हमारे साथ शामिल हो […]

by May 2, 2018 Fursat ke Pal
गर्मियां

गर्मियां

कहने को तो अभी मार्च ही चल रहा है, पर दिल्ली की गरम सनसनाती हवा और चौंधियाता सूरज, मुझे बचपन की मई जून वाली छुट्टियां याद दिला रहे हैं…लू के थपेड़े, स्कूल से निजात दिलाते और नंदन, चंपक के सुनहरे दिन बरबस चले आते… होमवर्क करने का ख्याल तो मुझे […]

by March 30, 2018 Articles, Fiction, Fursat ke Pal
बगूला

बगूला

यादों का बगूला अक्सर मन को बहा ले जाता है… स्मृतियों की संकरी गलियों में सूरज कभी डूबता भी तो नहीं… हर मोड़ पर इक लम्हा ठहरा मिलता है, उसी जगमग, उसी कश्मकश, उसी उदासी, उसी खुशी में सराबोर… जैसे जीवन वहीं थमा है अब भी, वहीं उसी मोड़ पर.. […]

by March 3, 2018 Fursat ke Pal
सफर

सफर

सड़क पर अपनी धुन में खोए, पत्तियां तोड़ते हुए चलने वाले, अजब दुनिया के लगते मुझे.. कई बार गुस्से में देखती उन्हें, अपनी बस में कोने की सीट पर बैठे… उस स्टॉप पर बस देर तक रुकती थी, उन दिनों प्राइवेट जो हुआ करतीं थीं… ठसाठस भरे बिना, जगह से […]

by January 23, 2018 Fursat ke Pal