Hindi Poetry

बेड़ियां

कितनी बेड़ियों में जकड़े हैं
किससे कब कितना कहना
कहाँ कब कैसे सिमट लेना
कितनी हदें, कितनी बंदिशें
अनगिनत ख़्वाब, बेहिसाब ख्याल
और एक अजानी सी चुप
जाने ये बुलबुले टूटते कैसे नहीं
Anupama

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