Fursat ke Pal

बगूला

यादों का बगूला अक्सर मन को बहा ले जाता है…

स्मृतियों की संकरी गलियों में सूरज कभी डूबता भी तो नहीं… हर मोड़ पर इक लम्हा ठहरा मिलता है, उसी जगमग, उसी कश्मकश, उसी उदासी, उसी खुशी में सराबोर… जैसे जीवन वहीं थमा है अब भी, वहीं उसी मोड़ पर.. तस्वीरें देख ढुलकते आंसू, खिलती मुस्कुराहट छद्मी कहां… हर भाव पूर्ण है, अपने क्षण में जिया हुआ, धड़कता सच…

पर, पलों की खासियत ठहरी, पल भर में बीत जाने की… पलकों के गिरने और उठने के अंतराल में ही दुनिया बदल जाया करती है… निमिष मात्र को जीवंत स्वप्न सी, रूप बदलती यादें, किस्मत से टकराती, लहरों की मौज में डूबती उबरती जीवन की नाव…

और यादों के धुंधलके में राह खोजती, नम आंखें, कोरों से काजल पौंछती… मज़बूती से चप्पू थामे, मंथर गति से बिन शोर किए आज में लौट आती हैं…
Anupama Sarkar
#fursatkepal

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