Hindi Poetry

आज़ादी

सभी मित्रों को 71वें स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
इंसानी फितरत है, जितना मिल जाए, उससे ज़्यादा पाने की उम्मीद करने की.. हमने गुलामी का ज़हर नहीं पिया, इसलिए शायद आज़ादी का अमृत उतना मीठा नहीं लगता.. पर कम से कम एक दिन देशभक्ति का जज़्बा उमड़ता देख, अच्छा लगता है.. खासकर बच्चों में.. उन्ही पर एक रचना..

सुबह सवेरे उठ गया भोलू जल्दी से स्कूल जाना था
आज़ादी की तिरंग पताका को ऊंचा लहराना था

आगे-आगे बढ़-बढ़ जय हिंद का नारा वो लगाता है
वंदे मातरम की गूंज से सारा प्रांगण चहका जाता है

आज़ाद है आज देश हमारा बच्चे पढ़ते किताबों में
पर क्या समझते इसका मतलब गुम गया जो इरादों में

कुर्बानी जो दी भगत ने खुदीराम शहीद हुए
अनगिनत बेनाम मरे लड़ते हुए जग छोड़ गए

वार दिया खुद का जीवन अपनों को बेगाना कर बैठे
क्या भोग सके वो आज़ादी जिसकी चाह में थे मर बैठे

यूं तो मुश्किल है कहना उनका क्या अंजाम हुआ
स्वर्ग मिला या खुला खज़ाना जाने क्या परिणाम हुआ

पर भोलू की मोहक हंसी ने दिल मेरा है लूट लिया
गर्व से बढ़ जब आगे तिरंगा नन्हें हाथों ने थाम लिया

घूम गया वो मंज़र आगे जब बापू ने ललकारा था
‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ का परचम गलियों में फहराया था

शायद यही है वो इनाम, जो शहीद सूली पर चढ़ आए थे
खुशहाल हो आने वाली पीढ़ी, सो जान अपनी दे आए थे!
Anupama

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