Articles by: Anupama Sarkar

मेरी दिल्ली

Music Teacher, Movie Review

Music Teacher, मैंने न देखी होती अगर Ajeeb Daastaans न देखती! नेटफ्लिक्स अक्सर आपको बांधने के चक्कर में एक ही जॉनर और एक्टर की मूवी रिकमेंड करता चलता है और इसी क्रम में मैं फिर से टकरा गई मानव कौल से! जी, यह मूवी पूरी तरह उन्हीं की है, उनके […]

by June 15, 2021 Review

कस्बे का आदमी, कमलेश्वर

कमलेश्वर की कहानी “कस्बे का आदमी” अभी अभी पढ़ी। छोटे महराज और उनके तोते संतू की कहानी… एक छोटे से कस्बे में रहने वाले, बचपन में ही अनाथ हो, घर द्वार लुटा देने वाले की कहानी! दो पात्र, शिवराज और छोटे महराज, एक ही गली के दो बाशिंदे,और इनके जरिए […]

by June 12, 2021 Articles
कविता की खोज

कविता की खोज

व्यग्र हो ढूंढते हैं वे कविता शब्दों को छांटते हुए बिंबों को छानते हुए सधे परिमाणों बंधे प्रमाणों तंग खांचों में भावों को ढालते हुए… शब्द शब्द की विवेचना अर्थ अनर्थ की विभेदना तुष्ट कर नहीं पाती भावना की आलोचना हो भी क्योंकर पाती! उलटते पलटते पृष्ठों को वे ढूंढ […]

by June 11, 2021 Hindi Poetry
तमाशबीन

तमाशबीन

किताबों में पढ़ती थी कि भारत को सपेरों का देश कहा जाता था। हैरानी होती कि क्यों भला, लगता कि खिल्ली उड़ाई जाती रही हमारी, नीचा दिखाने की साज़िश, शायद कहने वालों की मंशा थी भी यही। पर सवाल उठता है कि उन्हें यह कहने का हौंसला हुआ क्यूंकर? कुछ […]

by June 5, 2021 Articles
Ajeeb Daastaans, Hindi Movie

Ajeeb Daastaans, Hindi Movie

बिना एक शब्द बोले, आंखों से सब कह देना, ऐसी एक्टिंग देखे अरसा बीता… Ajeeb Daastaans नाम के अनुरूप ही है, एकदम अजीब, पर फिर भी कुछ था जिसने बांधे रखा… वरना सबसे अच्छी कहानी मिस कर बैठती ‘अनकही ‘ मानव और शेफाली की कहानी, बातों को आंखों से, चेहरे […]

by June 4, 2021 Review

Is Love Enough Sir, Movie Review

Is Love Enough/ Sir एक और मूवी जो हटकर है, बॉलीवुड की मसाला भीड़ से, अंधाधुंध दौड़ से, चींखते शोर से! पर देखते हुए सोचती रही, सचमुच अलग है क्या? मुझे तो नेपथ्य में उत्पल दत्त की आवाज़ गूंजती सी महसूस हुई “अवनीश बेटा! हम ने रत्ना को तुम्हारे लिए […]

by May 31, 2021 Review
वो वक़्त कुछ और था

वो वक़्त कुछ और था

वो वक़्त कुछ और था ज़मीं के बाशिंदें नहीं थे ये बालिश्त भर ऊंची सब्ज़ शाखों पे सुर्ख फूलों के बीच सरसराते थेे नशीली हवा की चुहलबाज़ी परिंदों की दिलकश हंसी और ओस की बूंदों में नहाई नई नवेली सुबह आह ! वो वक़्त ही कुछ और था माहौल में […]

by May 25, 2021 Hindi Poetry
महामारी या मारामारी

महामारी या मारामारी

सोचा था, जब तक तन और मन दुरुस्त न हो जाए, लिखना avoid करूंगी। पर पिछले कुछ दिन इतना अवसाद, निराशा और चिंता में गुज़रे हैं कि बिना लिखे, मेरा बीपी कंट्रोल होगा नहीं, आखिर इतनी कड़वाहट और गुस्सा लिए, कोई जिए भी तो कैसे? बीमारी को महामारी और महामारी […]

by May 25, 2021 Articles