Hindi Poetry

अप्रैल की शाम

हल्का नीला आसमां
रूई की पहाड़ियों से
नन्हे नाज़ुक बादल
मद्धम सी हवा और
पीपल के पीछे से
झांकता कुतरा सा चांद
उफ्फ! अप्रैल की ये शाम
कितनी प्यारी है
शायद मेंह बरसने की
तैयारी है!!
Anupama

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