Fursat ke Pal

अंबर

थकी हारी, दिन भर की ऊहापोह से जूझती, उनींदी अँखियाँ, पल भर ताकती हैं आसमां….

मेघ विहीन अंबर, दम साधे… चन्द्रमा की प्रतीक्षा में, स्वयं को तारों से सुसज्जित किये बैठा है.. पांच-सात नहीं, अनगिनत… प्रथम दृष्टा, कम दिखते हैं… पर एक बार टकटकी बंधे, तो जाने कहाँ से कितने ही चमकने लगते हैं.. मानो, लहरें अपने संग, सीपियां बटोर लायी हों..

पर नहीं, उसकी लहरें चंचल नहीं… सागर सा उद्विग्न नहीं वो… ठहराव है उसमें.. शांत, अडोल, असीम… विचित्र आकर्षण हैे, नीलवर्ण में….. मानो बस हाथ बढ़ा कर हर लेगा सारी थकन…

अनायास ही बंध जाती हूँ… गहरी सांस भरती हूँ… एक मुट्ठी आसमान मन में सहेज, भीतर चली आती हूँ…

तारों की हल्की सी चमक आँखों में शेष रहे, बुदबुदाहट सी हो रही…
Anupama
#fursatkepal

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