नहीं मानती नियमों को
नहीं जानती क़ायदे
लोक व्यवहार का ज्ञान नहीं
नहीं मालूम फायदे
पांव से कंकड़ उछाल दूं
बेपर आसमां नाप दूं
धूप की जरी घटा की कजरी
चुनरी संग टांक लूँ
मैं अलमस्त हवा पगली
शरद सा श्रृंगार करूं
Anupama
नहीं मानती नियमों को
नहीं जानती क़ायदे
लोक व्यवहार का ज्ञान नहीं
नहीं मालूम फायदे
पांव से कंकड़ उछाल दूं
बेपर आसमां नाप दूं
धूप की जरी घटा की कजरी
चुनरी संग टांक लूँ
मैं अलमस्त हवा पगली
शरद सा श्रृंगार करूं
Anupama
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