Hindi Poetry

अक्षर

अक्षर अक्षर बुनते
शब्द शब्द चुनते
लबों पे मुस्कान लिए
मुलायम सपने गुनते
अक्सर छप जाते हैं
उँगलियों के निशां
उन कोरे पन्नों पे
छूती हूँ उन्हें प्यार से
कलेजे से लगा लेती हूँ
बिन कहे बिन लिखे
बस इक फ़साना
यूँ ही गुनगुना लेती हूँ
Anupama

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