खलील जिब्रान की कविता A Tear and A Smile का हिंदी भावानुवाद : अनुपमा सरकार के द्वारा
नहीं करूंगा आदान-प्रदान
अपने हृदय के दुखों का सामूहिक सुखों से
नहीं परिवर्तित होने दूंगा
अपने प्रत्यंग से बहती उदासी से उपजे
आंसुओं को अट्टाहस में
मैं चाहता हूँ मेरे जीवन में शेष रहे
बस एक आंसू और एक मुस्कान !
एक आंसू, मेरे हृदय को शुद्ध करने और
जीवन की रहस्यमयी गूढ़ बातों को समझने के लिए
एक मुस्कान, अपने जैसे पुत्रों के समीप पहुंचने और
ईश्वर-स्तुति के प्रतीक रूप में ढल जाने के लिए
एक आंसू, टूटे दिलों के विलाप से जोड़ता
एक मुस्कान, संकेत मेरे अस्तित्व की प्रसन्नता का
मैं चाहूंगा मर जाऊं, उत्कंठा और तृष्णा में
पर न जीऊं, थकान और निराशा में
बसी रहे सौंदर्य और प्रेम की क्षुधा
मेरे अंतर आत्मा की गहराईयों में
क्योंकि संतुष्ट व्यक्ति सबसे व्यथित होता है
तड़प और लालसा में लिप्त लोगों की
आहें सुनी हैं मैंने और
उससे ज़्यादा मधुर कोई गीत नहीं है
संध्या समय कुसुम अपनी पंखुड़ियां समेट
अपनी चाहत को गले लगाए सो जाती है
और भोर की पहली आहट पर अपने
अधर खोल सूर्य का चुम्बन लेती है
पुष्प का जीवन केवल लालसा और पूर्ति
एक आंसू और एक मुस्कान
सागर का जल वाष्प बनकर उठता है
एकत्र हो मेघ बन धरती को घेर लेता है
पहाड़ियों और घाटियों में बादल बन मंडराता है
बस, जब तक मखमली हवा छू न ले उसे
तब रूदन करता धराशायी होता है खेतों में
और मिल जाता है नदी-नालों में
फिर से सागर में विलीन होने, अपने घर लौटने
बादल का जीवन केवल वियोग और मिलन
एक आंसू और एक मुस्कान
और ऐसी ही है, परम आत्मा से पृथक हो
विश्व-तत्वों में भटकती आत्मा
बादलों की भांति दुखों के पर्वत पार करती है
और खुशियों के मैदानों में वायुरूपी मृत्यु का
आलिंगन कर लौट जाती है वहीं, जहां से
उद्गम हुआ था इसका
प्रेम और सौंदर्य के सागर – परमात्मा में !
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