वो मुरझाए से फूल देखे हैं तुमने
यूँ ही बेमतलब टहनियों पर टंगे
लडा़ई हार चुके योद्धा से पस्त
धरती पर बोझ, सड़ते गलते
न खाद असर करे न पानी
बस यूं ही बहते जाना हो
जानते हो मन टूटते ही
इंसान भी ऐसा ही
हो जाता है
मृत
निस्तेज
दिशाहीन
इन फूलों से
इतर हम है
भी कहां!
Anupama
पेंटिंग : विनसेंट वॉन गॉग
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