Hindi Poetry

Gogh

FB_IMG_1465722202049
वो मुरझाए से फूल देखे हैं तुमने
यूँ ही बेमतलब टहनियों पर टंगे
लडा़ई हार चुके योद्धा से पस्त
धरती पर बोझ, सड़ते गलते
न खाद असर करे न पानी
बस यूं ही बहते जाना हो
जानते हो मन टूटते ही
इंसान भी ऐसा ही
हो जाता है
मृत
निस्तेज
दिशाहीन
इन फूलों से
इतर हम है
भी कहां!
Anupama
पेंटिंग : विनसेंट वॉन गॉग

Leave a Reply