कठपुतलियां देखीं हैं कभी
अक्सर कहते सुना, हम भी हैं वैसे ही
भाग्य के भरोसे, सांस लेते गुड्डे
पर उधेड़ो ज़रा उस मन को
धीमी सी चरमराहट होगी
और राज़ खुल जायेगा
विधाता बहुत ज्ञानी रे
हमारी डोर हमारे हाथ थमा
दर्शक दीर्घा में मुस्कुरा रहे….
Anupama
कठपुतलियां देखीं हैं कभी
अक्सर कहते सुना, हम भी हैं वैसे ही
भाग्य के भरोसे, सांस लेते गुड्डे
पर उधेड़ो ज़रा उस मन को
धीमी सी चरमराहट होगी
और राज़ खुल जायेगा
विधाता बहुत ज्ञानी रे
हमारी डोर हमारे हाथ थमा
दर्शक दीर्घा में मुस्कुरा रहे….
Anupama
Recent Comments