इतना ही तो चाहा मैंने कि
तुम मुझको याद करो
जब तुम देखो अपनी सूरत
मुझको ही तुम याद करो
जब उगता हो आधा सूरज
मुझको ही तुम याद करो
जब छाए वो चटख चांदनी
मुझको ही तुम याद करो
जब गहराए मस्या काली
मुझको ही तुम याद करो
जब-जब बरसे अमृत धारा
मुझको ही तुम याद करो
जब-जब चमके ध्रुव वो प्यारा
मुझको ही तुम याद करो
याद करो याद करो
याद करो कि इक लड़की थी
चंदा तारों में बसती थी
झरने भंवरे बादल पत्ते
इनकी ही बातें करती थी
सांसों में न बसा सको तो
यादों की उस पेटी में
मेरा भी नाम शुमार करो
इतना ही तो चाहा मैंने कि
बस……मुझसे ही तुम प्यार करो!!
Anupama
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