Hindi Poetry

कोरा कागज़

मेरी किस्मत तो तूने बड़े चाव से लिखी थी
पर अफसोस तेरी कलम में स्याही नहीं थी
तू लिखता गया यूं ही मिटता गया
जीवन का कागज़ तो कोरा गया

ये बिखरे से सपने वो अनलिखे पन्ने
ये बेरंग तस्वीरें वो रूठी तकदीरें
मुझको तो बस यही हासिल रहा

रूई से वो बादल वो चमकीले तारे
वो जकरंदी नीले अमलतासी प्यारे
भर न सके इन आंखों में रंग
जीवन का कैनवस तो खाली गया

ये उलझे से रिश्ते ये डूबी सी कश्ती
है गहरा समंदर न साहिल मिला

ये रंगहीन आंसू ये अंगहीन ख्वाब
गमों का ये दरिया दुखों का सैलाब
बेनकाब मेरा ये कातिल रहा

ये शापित सा जीवन तो यूं ही कटेगा
पल-पल मेरा मन यूं ही बंटेगा
ये वाद विवाद विषाद अवसाद
इनसे ही जीवन आच्छादित रहेगा

सच!किस्मत तो तूने बड़े चाव से लिखी थी
पर अफसोस तेरी कलम में स्याही नहीं थी।

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