आधा जीवन बीत जाने के बाद
अचानक एक कुलबुलाहट
व्यक्ति, परिस्थिति, कारण
स्पष्ट याद नहीं
पर धीमे धीमे उभरती ये आवाज़
अंतर्मन की कोठरियों से टकरा
जिह्वा के दंश से हो घायल
होने और न होने के बीच
मृत्यु के द्वार तक लकीर खींच
सरपट भागती देह को
जकड़ लेती है
सांसों के मध्य अर्धविराम
मूलाधार से आज्ञा तक
रक्तिम बिंदु से नील कंवल
शनै शनै विस्थापित मन
श्वेत शांत स्थिर…
Anupama
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